Mobile और Internet धीरे-धीरे अब हर इंसान की जरूरत बनती जा रही है। यह न केवल जरूरत है, बल्कि रोजमर्रा के आवश्यक कामों, ऑफिस वर्क, स्कूल वर्क, ईमेल, पत्राचार, संदेश आदि की पूर्ति का जरिया बन गया है। यदि इंटरनेट और मोबाइल फोन न हो तो आज के आधुनिक युवा व व्यक्ति अपने रोजमर्रा के काम नहीं कर सकता। स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई रुक जाएगी। कार्यालयीन कार्य व संदेशों का आदान-प्रदान नहीं होगा। तो जाहिर सी बात है कि नेटवर्क न हो तो मोबाइल और इंटरनेट का यंत्र केवल एक डिब्बा बनकर रह जाएंगे।
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ऐसे में पोंभूर्णा (Pombhurna) तहसील के 7 गांवों में ग्रामीण और खासकर युवा वर्ग इसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनके मोबाइल और इंटरनेट आदि के संसाधन यहां नेटवर्क के अभाव में डब्बा बनकर रह गये है। इस स्थिति को बदलने के लिए जिले के पालकमंत्री Sudhir Mungantiwar द्वारा दखल लेने, टॉवर लगवाने की मांग की गई है। यह समस्या हल न होने पर शीघ्र ही अनशन आंदोलन करने की चेतावनी 7 गांवों के ग्रामीणों ने दी है।
बताया जाता है कि पोंभूर्णा तहसील के पिपरी देशपांडे समेत नवेगाव मोरे, वेलवा, चेकठाणेवासना, चिमणा हेटी, चेक नवेगाव, चेक बल्लारपुर गांवों में किसी भी कंपनी का मोबाइल नेटवर्क नहीं है। न तो BSNL, न ही Jio, और न ही Vodafone, या idea और Airtel इन परिस्थितियों में बीते अनेक वर्षों से यहां के नागरिक मजबूर होकर बिना नेटवर्क के ही दिन बीता रहे हैं। इन नागरिकों का मोबाइल फोन केवल एक खिलौना बनकर रह गया है।
इन 7 गांवों के विद्यार्थी ऑनलाइन अध्ययन नहीं कर सकते। अपना youtube नहीं चला सकते। Work for Home भी नहीं कर सकते। बिना Internet के इनके Computer भी किसी डब्बे की तरह बन गये है। किसानों के लिए सरकार की ओर से Online App के माध्यम से खेती की अनेक जानकारियां दी जाती है। परंतु यहां के 7 गांवों के किसानों को सरकार की ऑनलाइन ऍप व जानकारियां केवल सपनों की तरह है।
यहां के ग्राम पंचायत के कर्मचारी तो जनता के ऑनलाइन काम ही नहीं कर सकते। सरकारी वेबसाइट (Government Website) नहीं चला सकते। पटवारी स्थानीय किसानों को प्रमाणपत्र देने के लिए तैयार है, लेकिन नेटवर्क नहीं है। इसके चलते अनेक काम लंबित होने लगे हैं। नेटवर्क के अभाव में सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पा रही है। स्पर्धा परीक्षाओं की समय सूची नहीं मिल पा रही है। यहां के युवाओं का अधिकारी बनने का सपना टूटने लगा है। इसके चलते इन 7 गांवों में बेरोजगार युवकों की संख्या बढ़ने लगी है। इन गांवों में रहने वाले नागरिकों को कभी इमर्जेन्सी कॉल लगाने की आवश्यकता पड़ती है तो इन्हें बाहर गांव जाकर कॉल करने की नौबत है। परिवार से दूर रहने वाले अपने बच्चों से Video Call पर बात करना एक ख्वाब की तरह बन गया है।
बीते अनेक वर्षों से यहां के सत्ताधारियों ने गांव की इस समस्या की अनदेखी की है। लगातार इस संदर्भ में सत्ता पक्ष के प्रमुख नेताओं से ग्रामीणों ने भेंट कर अनुरोध किया, परंतु सभी ने पिपरी देशपांडे गांव की इस समस्या की अनदेखी की। आगामी विधानसभा चुनावों में इस अनदेखी का असर वोटों पर जरूर दिखाई पड़ेगा, यह चर्चा अब इन गांवों में होने लगी है। नेटवर्क की दिक्कत को स्थानीय युवकों द्वारा नहीं सहने की बात कही जा रही है। तत्काल इस समस्या को हल न करने पर स्थानीय युवाओं ने अनशन करने की चेतावनी दी है।