Western Coalfields Limited (WCL) की कोयला आपूर्ति व्यवस्था इन दिनों भारी अव्यवस्था और लापरवाही की शिकार है। खबरों के अनुसार हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि फरवरी 2025 में भेजा जाना था कोयला, वह अब तक उद्योगों तक नहीं पहुंच पाया है। इस लापरवाही के चलते करीब 2 लाख टन कोयले की आपूर्ति लंबित हो चुकी है जिससे विदर्भ और मराठवाड़ा के सैकड़ों छोटे-बड़े उद्योगों के लिए संकट खड़ा हो गया है।
उद्योगपतियों के अनुसार एक रैक में लगभग 4,000 टन कोयला होता है और Ghugus Wani Area, Ballarpur, Wani North और Gouri, Umred क्षेत्र से 60 से अधिक रैक की आपूर्ति रुकी पड़ी है। बार-बार पत्राचार के बावजूद वेकोलि प्रबंधन “रैक की अनुपलब्धता” का हवाला देकर कोयला देने से बच रहा है, जबकि व्यापारी पहले ही प्रीमियम देकर ऑक्शन से कोयला खरीद चुके हैं।
सबसे बड़ा आरोप यह है कि WCL अब उद्योगों को प्राथमिकता न देकर, वाशरियों को कोयले की आपूर्ति को तरजीह दे रहा है। इससे न केवल व्यापारियों में आक्रोश है बल्कि कई इकाइयाँ उत्पादन ठप होने की कगार पर पहुंच गई हैं।
ग्राहक सम्मेलन में पक्षपात का आरोप
जानकारी सामने आई है कि हाल ही में आयोजित ग्राहक सम्मेलन में बड़ी संख्या में प्रमुख उद्योगपतियों और संगठनों को आमंत्रित ही नहीं किया गया, जिससे मामला और बिगड़ गया। कई संगठनों ने विरोध स्वरूप लिखित शिकायतें भी दर्ज करवाई हैं।
सेल्स विभाग पर भी सवाल
वेकोलि के सेल्स विभाग की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं। समुचित आपूर्ति व्यवस्था बनाए रखने में विभाग पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है। उद्योग जगत का कहना है कि यह सिर्फ अव्यवस्था नहीं बल्कि नीतिगत प्राथमिकताओं में बदलाव और आंतरिक पक्षपात का परिणाम है।
WCL की यह स्थिति न केवल आर्थिक असंतुलन पैदा कर रही है, बल्कि सरकार द्वारा घोषित “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे अभियानों को भी प्रभावित कर रही है। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में उद्योगों का उत्पादन ठप होने, रोजगार पर असर पड़ने और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट का खतरा गहराता जा रहा है।
