घुग्घुस क्षेत्र में हो रही तेज बारिश ने सोमवार शाम 5 बजे वेकोलि वणी क्षेत्र के निलजाई खदान परिसर में बड़ा हादसा खड़ा कर दिया। उकनी की ओर जानेवाली मुख्य सड़क के बाजू की ओबी (ओवर बर्डन) टील अचानक ढह गई। मिट्टी का मलबा इतनी तेज गति से सड़क पर फैला कि वहां से गुजर रही एक स्कॉर्पियो और 18 छक्के की ट्रक पूरी तरह उसमें दब गई। इस घटना से पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई और सोशल मीडिया पर इसके दृश्य तेजी से वायरल हो गए।
स्कॉर्पियो सवारों की जान बची
चश्मदीदों ने बताया कि स्कॉर्पियो में सवार चार युवक जैसे-तैसे पिछले दरवाजे से बाहर निकल आए, जिससे उनकी जान बच गई। ये सभी युवक उकनी गांव के निवासी बताए जा रहे हैं। हालांकि उनकी गाड़ी पूरी तरह मिट्टी में दब गई। वहीं, मलबे में फंसी 18 छक्के की ट्रक वंदना ट्रांसपोर्ट की हैं।
मार्ग बंद, वेकोलि कर्मचारी प्रभावित
इस हादसे के बाद निलजाई-घुग्घुस मार्ग पूरी तरह बंद है। दूसरी पाली में खदान पहुंचे कई वेकोलि कर्मियों को प्रबंधन ने दूसरे रास्ते से मैनपावर बसों के जरिए घर भेजना पड़ा। फिलहाल मार्ग पर यातायात बंद है।
युद्धस्तर पर राहत कार्य
वेकोलि प्रबंधन ने तत्काल राहत और मलबा हटाने का काम शुरू कर दिया है। भारी मशीनरी की मदद से सड़क पर आए मिट्टी के पहाड़ को हटाने की कोशिश की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही मार्ग को सुचारु करने का प्रयास जारी है, मगर भारी बारिश के चलते कार्य में बाधा आ रही है।
वेकोलि प्रबंधन की लापरवाही से फिर खुली पोल
वणी (वेकोलि नार्थ क्षेत्र) – आज से 16 वर्ष पूर्व 5 नवंबर 2009 को पिंपलगांव खदान परिसर में घटी ओबी (ओवर बर्डन) धंसने की बड़ी घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला दिया था। उस हादसे के बाद दो किलोमीटर तक ज़मीन में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई थीं। जांच में सामने आया था कि वेकोलि प्रबंधन ने नियमों को ताक पर रखकर सख़्त ज़मीन की बजाय नरम भूमि पर 30 मीटर की सीमा के बजाय 120 मीटर ऊँचाई तक ओबी का ढेर लगा दिया था। इसी भारी लापरवाही के चलते ज़मीन धंस गई थी।
इतिहास दोहराने का खतरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रबंधन ने उस घटना से कोई सबक नहीं लिया। आज भी वही लापरवाही दोहराई जा रही है। खदान क्षेत्र में नियमों की अनदेखी कर मिट्टी (ओबी) के ऊँचे पहाड़ खड़े कर दिए गए हैं। हाल ही में हुई तेज बारिश ने प्रबंधन की पोल खोल दी है और स्थिति खतरनाक होती जा रही है।
स्थानीय जनता में डर
आसपास के गांवों के लोग फिर से दहशत में हैं। उन्हें डर है कि कहीं फिर से ज़मीन धंसने और दरारें पड़ने जैसी घटना न घट जाए। ग्रामीणों ने प्रशासन और प्रबंधन से सख़्त कार्रवाई की मांग की है ताकि 2009 जैसी त्रासदी दोबारा न दोहराई जाए।
यह हादसा बताता है कि खदान परिसरों में बरसात के दिनों में सुरक्षा इंतजाम कितने जरूरी हैं। गनीमत यह रही कि स्कॉर्पियो में बैठे चार युवक समय रहते निकल पाए, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।
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