सरकार और प्रशासन की दबंगई के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान
चंद्रपुर जिले के भद्रावती तालुका अंतर्गत ढोरवासा क्षेत्र में निप्पान प्रोजेक्ट से प्रभावित लोगों का संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। वर्षों से अपनी ज़मीन के हक के लिए संघर्ष कर रहे पीड़ितों ने प्रशासन और उद्योगपतियों की मिलीभगत के खिलाफ आर-पार की लड़ाई छेड़ने का ऐलान कर दिया है। “मरण आए तो आए, लेकिन हक के लिए आखिरी सांस तक लड़ेंगे!” – यह संकल्प लेते हुए प्रभावितों ने आगामी आंदोलनों की रणनीति का ऐलान किया।
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कैसे शुरू हुआ विवाद?
1996 में निप्पान डेन्रो प्रोजेक्ट के लिए ढोरवासा क्षेत्र की ज़मीन अधिग्रहित की गई थी। लेकिन इस प्रोजेक्ट के रद्द होने के बाद भी अधिग्रहित ज़मीन स्थानीय किसानों और भूमिहीनों को वापस नहीं की गई। पिछले 25 वर्षों से यह ज़मीन एमआईडीसी (महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम) के अधीन खाली पड़ी रही। अब इस ज़मीन पर ग्रेटा और न्यू एरा नाम की कंपनियां अपना उद्योग लगाने जा रही हैं। लेकिन स्थानीय प्रभावितों की मुख्य मांग है कि—
> प्रत्येक प्रभावित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा मिले।
> प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को अनिवार्य रूप से नौकरी दी जाए।
> जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक कंपनी का काम बंद किया जाए।
सरकार और प्रशासन की दमनकारी नीति!
प्रभावितों के अनुसार, बार-बार निवेदन देने के बावजूद सरकार और प्रशासन ने उनकी मांगों को अनसुना कर दिया। उल्टा, जब प्रभावितों ने अपनी आवाज़ उठाने की कोशिश की तो प्रशासन ने पुलिस बंदोबस्त में जबरदस्ती कंपनी का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, उन पर झूठे मुकदमे दर्ज कराए जा रहे हैं।
लोकल नेताओं ने भी धोखा दिया?
प्रभावितों का कहना है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सरकार और उद्योगपतियों के दबाव में आ गए हैं। शुरू में नेताओं ने समर्थन का भरोसा दिलाया, लेकिन जब प्रशासन ने दमनचक्र शुरू किया तो ये नेता चुप्पी साधकर खड़े हो गए। “संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं” – बस इतना कहकर वे पीछे हट गए।
आंदोलन की रूपरेखा – अब आर-पार की लड़ाई!
अब प्रभावितों ने सरकार और प्रशासन के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है। उनकी आंदोलन की योजना इस प्रकार है—
17 मार्च: भद्रनाग मंदिर से तहसील कार्यालय तक विरोध मार्च और मांगों का ज्ञापन सौंपा जाएगा।
20 से 24 मार्च: सरकार की प्रतिक्रिया न मिलने पर धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
25 मार्च: यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू किया जाएगा।
क्या होने वाला है आगे?
प्रभावितों के आक्रामक रुख के कारण सरकार और प्रशासन के साथ टकराव की स्थिति बन गई है। यदि जल्द ही कोई समाधान नहीं निकला तो इस आंदोलन का रूप और भी उग्र हो सकता है। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन प्रभावितों की मांगों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाते हैं, या फिर इसे एक और उग्र जनआंदोलन बनने देते हैं?
क्या न्याय मिलेगा या फिर संघर्ष और तेज होगा? यह आने वाले दिनों में साफ होगा!